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अनकही भावनाएँ

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अनकही भावनाएँ” एक हृदयस्पर्शी कहानी है जो रिया और अमन के रिश्ते के माध्यम से दर्शाती है कि कैसे संवाद की कमी और गलतफहमियाँ एक प्रेमपूर्ण संबंध को भी कमजोर कर सकती हैं। रिया अपनी भावनाओं को व्यक्त करना चाहती है, लेकिन अमन उसे गलत समझता है, जिससे उनके बीच दूरियाँ बढ़ती जाती हैं। यह कहानी दिखाती है कि कभी-कभी हम लड़ना नहीं चाहते, बस चाहते हैं कि कोई हमारे मन की आवाज़ सुने, बिना गलत समझे। एक पत्र के माध्यम से, रिया अंततः अपनी भावनाओं को अमन तक पहुँचाने में सफल होती है, जिससे उनका रिश्ता फिर से मजबूत होता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि रिश्तों में सच्ची समझ और संवाद का कोई विकल्प नहीं है।

रिया ने अपने कमरे की खिड़की से बाहर देखा। बारिश की बूंदें शीशे पर टकरा रही थीं, जैसे उसके मन में उठते विचारों की तरह। आसमान में छाए बादलों की तरह ही उसके मन में भी उदासी का अंधेरा छाया हुआ था। आज फिर वही हुआ था जो अक्सर होता था – अमन ने उसकी बात को गलत समझ लिया था। रिया सोच रही थी कि क्या वाकई उसके शब्द इतने जटिल थे कि अमन उन्हें समझ नहीं पाया, या फिर समझना ही नहीं चाहता था।

पिछले पांच सालों से उनकी शादी को हो चुके थे। शुरुआती दिनों में सब कुछ सपनों जैसा था। अमन उसकी हर छोटी-बड़ी बात का ख्याल रखता, उसकी भावनाओं को समझने की कोशिश करता। उसकी आंखों में झांककर ही समझ जाता था कि रिया के मन में क्या चल रहा है। लेकिन धीरे-धीरे, जैसे-जैसे जिम्मेदारियां बढ़ीं, वैसे-वैसे उनके बीच का संवाद कम होता गया। अब तो ऐसा लगता था जैसे वे दो अलग-अलग दुनिया में रह रहे हों, एक ही छत के नीचे रहते हुए भी मानो हज़ारों मील दूर।

क्या तुम सुन रहे हो?” रिया ने आज सुबह पूछा था जब अमन अपने फोन में व्यस्त था। उसकी आवाज़ में एक अजीब सी कंपन थी, जैसे वह अपने भीतर के तूफान को रोकने की कोशिश कर रही हो।

“हां, बोलो,” अमन ने बिना फोन से नज़र हटाए जवाब दिया। उसकी आवाज़ में वह गर्माहट नहीं थी जो कभी हुआ करती थी।”मुझे लगता है हमें अपने रिश्ते पर बात करनी चाहिए। मुझे लगता है कि हम एक-दूसरे से दूर जा रहे हैं।” रिया ने अपने दिल की बात कहने की कोशिश की, उसकी आंखें अमन के चेहरे पर टिकी थीं, उम्मीद थी कि वह समझेगा।

मुझे लगता है हमें अपने रिश्ते पर बात करनी चाहिए। मुझे लगता है कि हम एक-दूसरे से दूर जा रहे हैं।” रिया ने अपने दिल की बात कहने की कोशिश की, उसकी आंखें अमन के चेहरे पर टिकी थीं, उम्मीद थी कि वह समझेगा।

अमन ने फोन नीचे रखा और उसकी ओर देखा। उसकी आंखों में चिंता के साथ थोड़ा गुस्सा भी था। “फिर वही बात? हर बार तुम्हें कुछ न कुछ समस्या रहती है। मैं पूरे हफ्ते काम करता हूं, और जब थोड़ा आराम मिलता है, तब भी तुम्हें बहस करनी होती है।” उसके शब्दों में एक तीखापन था जो रिया के दिल में चुभ गया।

रिया ने गहरी सांस ली। यह वही गलतफहमी थी जो हर बार होती थी। वह बहस नहीं करना चाहती थी, बस अपने दिल की बात कहना चाहती थी। उसके मन में एक तूफान उठ रहा था, लेकिन वह उसे शांत रखने की कोशिश कर रही थी।

“मैं बहस नहीं कर रही हूं, अमन। मैं बस यह कहना चाहती हूं कि…” रिया के शब्द हवा में अधूरे लटक गए।

“देखो रिया, मुझे अभी एक जरूरी ईमेल चेक करना है। हम बाद में बात करेंगे, ठीक है?” कहकर अमन ने फिर से अपना फोन उठा लिया और कमरे से बाहर चला गया, मानो रिया की बात का कोई महत्व ही न हो।

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रिया वहीं बैठी रह गई, अपने अधूरे वाक्य के साथ। उसकी आंखों में आंसू आ गए, जो उसने पलकों के पीछे छिपा लिए। क्यों नहीं समझ पाता अमन कि वह क्या कहना चाहती है? क्या उसकी भावनाएँ इतनी महत्वहीन हैं कि उन्हें सुनने का समय भी नहीं है?

शाम को जब अमन ऑफिस से लौटा, तब तक रिया अपने विचारों में खोई हुई थी। उसने अपनी डायरी निकाली और लिखने लगी, जैसे उसके भीतर का दर्द शब्दों में बह रहा हो:

जब-जब मैंने ये बताने की कोशिश की कि मैं कैसा महसूस कर रही हूँ…
या किस बात को लेकर मेरे मन में उलझन है, कौन-सी बात बार-बार सोच रही हूँ…
तुम्हें हर बार यही प्रतीत हुआ कि शायद मैं तुमसे बहस कर रही हूँ,
या कोई अनचाही लड़ाई छेड़ना चाहती हूँ।

कभी-कभी इंसान लड़ना नहीं चाहता,
वो सिर्फ चाहता है कि कोई उसके मन की आवाज़ सुने…
बिना उसे गलत समझे।”

डायरी बंद करके रिया ने अपने आंसू पोंछे। उसके गालों पर आंसुओं के निशान अब भी ताज़ा थे। उसे याद आया कि आज उसकी सहेली प्रिया से मिलना था। शायद प्रिया उसे समझ सके, क्योंकि कभी-कभी एक औरत ही दूसरी औरत के दर्द को समझ सकती है।

शहर के एक शांत कोने में स्थित कैफे में बैठी प्रिया ने रिया के चेहरे पर उदासी देखी और तुरंत पूछा, “क्या हुआ? सब ठीक तो है?” उसकी आवाज़ में चिंता थी, आंखों में अपनेपन का भाव।

रिया ने अपनी कॉफी के कप को धीरे-धीरे घुमाते हुए कहा, “पता नहीं प्रिया, मुझे लगता है कि अमन और मैं एक-दूसरे को समझ ही नहीं पाते। जब भी मैं अपनी भावनाओं के बारे में बात करती हूं, वह समझता है कि मैं उससे लड़ रही हूं।” उसकी आवाज़ में एक गहरी निराशा थी, जैसे उसने हार मान ली हो।

प्रिया ने रिया का हाथ अपने हाथों में लेकर प्यार से थामा, “कभी-कभी पुरुष और महिलाएं अलग तरह से संवाद करते हैं। शायद तुम्हें अपनी बात रखने का तरीका बदलना चाहिए।” उसकी आंखों में समझ का भाव था, जैसे वह रिया के दर्द को महसूस कर रही हो।

लेकिन मैं क्या करूं? मैंने हर तरीके से कोशिश की है।” रिया की आवाज़ में हताशा थी, जैसे उसने सारे रास्ते आज़मा लिए हों।”शायद तुम्हें उसे एक पत्र लिखना चाहिए। कभी-कभी लिखित शब्द बोले गए शब्दों से ज्यादा प्रभावशाली होते हैं। शब्दों के साथ भावनाएँ भी उतर आती हैं कागज़ पर।” प्रिया ने सुझाव दिया, उसकी आंखों में एक चमक थी।

रिया ने सोचा कि यह अच्छा विचार है। उस रात, जब अमन गहरी नींद में सो गया, तब रिया ने एक पत्र लिखना शुरू किया। कमरे में सिर्फ एक छोटी सी लैंप जल रही थी, जिसकी रोशनी में रिया के आंसू चमक रहे थे। उसने अपनी सारी भावनाएं, अपने सारे विचार उस पत्र में उड़ेल दिए। हर शब्द के साथ उसका दिल हल्का होता जा रहा था। वह नहीं चाहती थी कि अमन उसे गलत समझे, वह बस चाहती थी कि वह उसकी भावनाओं को समझे, उसके दिल की आवाज़ सुने।

अगली सुबह, अमन जब उठा, तब उसने अपने तकिए के नीचे वह पत्र पाया। उसने पत्र पढ़ा और जैसे-जैसे वह पढ़ता गया, उसकी आंखें नम होती गईं। उसे अहसास हुआ कि वह कितना गलत था, कितना अंधा था कि वह रिया की भावनाओं को नहीं समझ पाया। वह तुरंत रिया के पास गया, जो रसोई में चाय बना रही थी, उसकी पीठ अमन की ओर थी।

“रिया,” अमन ने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी कंपन थी।रिया ने मुड़कर देखा, उसकी आंखों में सवाल था।”मुझे माफ कर दो। मैं तुम्हारी भावनाओं को समझ नहीं पाया। मैंने हमेशा सोचा कि तुम मुझसे बहस कर रही हो, लेकिन अब मुझे समझ आया कि तुम सिर्फ अपने दिल की बात कहना चाहती थी।” अमन की आवाज़ भारी थी, आंखों में पछतावा था।

रिया की आंखों में आंसू आ गए, लेकिन इस बार ये खुशी के आंसू थे। अंततः अमन ने उसे समझा था। वह उसके पास गई और उसे गले लगा लिया, जैसे वह उसे कभी छोड़ना नहीं चाहती।

मैं वादा करता हूं कि अब से मैं तुम्हारी बातों को ध्यान से सुनूंगा,” अमन ने कहा, रिया के बालों को सहलाते हुए। “मैं तुम्हारी भावनाओं को समझने की कोशिश करूंगा, हर शब्द को, हर भाव को।”

रिया ने मुस्कुराते हुए कहा, “और मैं वादा करती हूं कि अगर मुझे लगे कि तुम मुझे गलत समझ रहे हो, तो मैं तुरंत स्पष्ट करूंगी। हम दोनों को एक-दूसरे को समझने के लिए प्रयास करना होगा।”

उस दिन के बाद, रिया और अमन के बीच का संवाद बेहतर होने लगा। वे एक-दूसरे की भावनाओं को समझने की कोशिश करते, एक-दूसरे को सुनते। जब भी कोई गलतफहमी होती, वे तुरंत उसे सुलझा लेते। रिया को अहसास हुआ कि कभी-कभी संवाद का तरीका बदलने से ही रिश्ते में नई जान आ जाती है। और अमन को समझ आया कि सुनना सिर्फ कानों से नहीं, दिल से भी होता है।

रिया अब अक्सर सोचती है कि कितना जरूरी है कि हम अपने प्रियजनों की भावनाओं को समझें, उन्हें सुनें, बिना उन्हें गलत समझे। क्योंकि कभी-कभी इंसान लड़ना नहीं चाहता, वो सिर्फ चाहता है कि कोई उसके मन की आवाज़ सुने… बिना उसे गलत समझे। और जब कोई आपकी भावनाओं को समझता है, तो वह आपके दिल में एक खास जगह बना लेता है, जो कभी मिटती नहीं।रिश्तों की यही खूबसूरती है – समझना और समझे जाना। और इसी समझ से रिश्ते फलते-फूलते हैं, जीवन में खुशियों के रंग भरते हैं

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